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थायराइड, समस्या और घरेलू उपचार

अनुचित आहार-विहार और तनावपूर्ण जीवन के कारण आजकल लोगों में थायराइड की समस्या तेजी से बढ़ रही है। खासकर, महिलाओं में यह समस्या बेहद गंभीर होती जा रही है। हमारे शरीर की थायराइड ग्रंथि में गड़बड़ी के कारण थायराइड संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। Hyperthyroidism या Hypothyroidism प्रमुख समस्या होती है। थायराइड ग्रंथि, मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अंतः स्रावी ग्रंथियों में से एक है।

यह हमारे गले में स्वर यंत्र के नीचे स्थित होती है। शरीर की चयापचय क्रिया में थायराइड ग्रंथि की विशेष भूमिका रहती है। यह ग्रंथि Tri-iodothyronin और Thyrocacitonim नामक हार्मोन स्रावित करती है। यह हार्मोन हमारे शरीर के सभी विकास तंत्रों को प्रभावित करते हैं और शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है।

थायराइड ग्रंथि के सामान्य कार्य-

1. यह ब्लड में चीनी कोलेस्ट्रॉल तथा फास्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है।
2. थायरोक्सिन हार्मोन, वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है। 3. स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दुग्ध स्राव बढ़ाता है।
4. थायराइड हार्मोन हड्डियों, मांसपेशियों, लैंगिक तथा मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
5. हृदय गति एवं ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।

थायराइड ग्रंथि की अतिसक्रियता का प्रभाव (Hyperthyrodism)- जब इन हार्मोन्स का शरीर में अधिक उत्पादन होता है तो शरीर ऊर्जा का उपयोग अधिक मात्रा में करने लगता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह परेशानी अधिक होती है। निम्नलिखित लक्षणों से इसकी पहचान की जा सकती है-

• घबराहट, चिड़चिड़ापन, अधिक पसीना आना।
• हाथों का कांपना बालों का पतला होना एवं झड़ना।
• अनिद्रा, मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना।
• दिल की धड़कन का बढ़ना।
• थायराइड हार्मोन की अधिकता के कारण शरीर में Metabolis यानी चयापचय बढ़ जाता है और हर काम तेजी से होने लगता है।
• महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता हो जाती है।
• बहुत भूख लगने और खाने के बाद भी वजन घटता जाता है।
• हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण कैल्शियम की कमी होने लगती है।

थायरायड ग्रंथि की अल्पसक्रियता का प्रभाव (Hypothyroidism)- अवटु (थायराइड) ग्रंथि की सक्रियता से कम सक्रियता से शरीर पर निम्नलिखित दुष्प्रभाव पड़ते हैं-

• अवसाद / डिप्रेशन।
• धड़कन की धीमी गति।
• हमेशा थकान बने रहना।
• वजन बढ़ना।
• जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में अकड़न होना।
• बालों का अधिक झड़ना।
• आंखों में सूजन।
• बार-बार भूलना।
• पेट में कब्ज रहना, पसीने में कमी आना।
• कन्फ्यूजन रहना, सोचने-समझने में दुविधा महसूस करना।
• ब्लड में कोलेस्ट्रोल बढ़ना।
• त्वचा में सूखापन आना और खुजली होना।

थायरॉइड के कारण-

1. जीवन में अधिक तनाव से थायराइड हार्मोन की सक्रियता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

2. भोजन में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से भी थायराइड ग्रंथियां प्रभावित होती हैं

3. यदि परिवार में दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही हो तो इसकी संभावना अधिक रहती है। यानी, यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है।

4. महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थायराइड हारमोंस में असंतुलन हो सकता है।

5. थायराइड ग्रंथि में सूजन, आयोडीन की कमी, हाशिमोटो रोग, ग्रेव्स रोग, घेंघा रोग, विटामिन B12 के कारण भी थायराइड की समस्या हो सकती है।

थायरॉइड के घरेलू उपचार-

1. रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। अश्वगंधा हार्मोन के असंतुलन को ठीक करता है।

2. दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिलाकर सेवन करें।

3. मुलेठी का सेवन करने से भी थायराइड की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

4. प्रतिदिन एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

5. हरी धनिया को पीसकर एक गिलास पानी में घोलकर पिएं।

6. प्रतिदिन दूध में हल्दी पकाकर पीने से भी लाभ होता है।

7. लौकी का जूस खाली पेट पीने से भी थायराइड कंट्रोल रहता है।

थायरॉइड के दौरान परहेज और आहार-

• जंक फूड एवं प्रिजर्वेटिव आहार बिल्कुल नहीं खाएं।
• कम वसा वाले आहार सेवन करें।
• आयोडीन युक्त आहार ग्रहण करें।
• फलों एवं सब्जियों को अधिक सेवन करें हरी पत्तेदार सब्जियों की भरपूर मात्रा ग्रहण करें।
• मिनरल्स और विटामिंस से युक्त पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें।
• काजू, बादाम आदि मेवों का सेवन करें।
• गाजर आदि खाद्य पदार्थों से विटामिन ए की पूर्ति करें।

दिनचर्या एवं जीवन शैली-

1. नियमित रूप से प्रतिदिन ध्यान एवं प्राणायाम करें।
2. योगासन, व्यायाम का अभ्यास करें।
3. स्मोकिंग या अल्कोहल से दूर रहें।
4. तनावमुक्त जीवन जीने का प्रयास करें।
5. गेहूं और ज्वार का सेवन करें।
6. साबुत अनाज का सेवन करें, जिनमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिंस मौजूद होते हैं।
7. सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन, हलासन, मत्स्यासन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन, उष्ट्रासन करके भी थायराइड सम्बन्धी समस्याओं के निवारण में सहायता मिलती है।

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