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शरीर के लिए ऊर्जा की आवश्यकता और महत्व

ऊर्जा मनुष्य के शरीर में उपस्थित वह शक्ति है, जिससे वह अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को संचालित करने के लिए प्रयोग में लाता है। ऊर्जा के बिना मानव शरीर की गतिविधियां ठप हो जाती हैं, अतः सुचारू रूप से कार्य करने के लिए मनुष्य को ऊर्जा की निश्चित रूप से आवश्यकता होती है तथा यह शक्ति वह भोज्य पदार्थों के माध्यम से प्राप्त करता है। भोजन में उपस्थित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा शरीर में पाचन, अवशोषण तथा चयापचय क्रियाओं के बाद शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस ऊर्जा का मनुष्य सोते-जागते, चलते-फिरते, उठते-बैठते या विभिन्न कार्य करते हुए प्रयोग करता है। अतः यह ऊर्जा व्यक्ति के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना किसी कार के लिए पेट्रोल अथवा डीजल की आवश्यकता। यहां तक कि हृदय के धड़कनें, सांस लेने, भोजन के पाचन आदि सभी कार्यों में ऊर्जा का महत्वपूर्ण योगदान है। शरीर में किसी भी प्रकार के नए निर्माण के लिए ऊर्जा आवश्यक होती है। भोजन शरीर में ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऊर्जा उत्पन्न करता है। यह ऊर्जा शरीर को गतिशीलता प्रदान करने के साथ-साथ उठना भी प्रदान करती है, जिससे हमारा शरीर गर्म रहता है।

ऊर्जा की आवश्यकता शरीर में विभिन्न कारणों से होती है। व्यक्ति निरंतर क्रियाशील रहता है। सभी दैनिक कार्यों को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, चलना-फिरना, खाना-सोना, खेलना-कूदना, उठना-बैठना आदि कार्य ऐच्छिक कार्य कहे जाते हैं, क्योंकि इन्हें हम अपनी इच्छा अनुसार करते हैं। इसके अतिरिक्त जिन स्थितियों में हम कोई ऐच्छिक कार्य नहीं करते, उस समय भी हमारे शरीर में जैविकीय क्रियाएं निरंतर होती रहती हैं, जैसे ह्रदय का धड़कना, सांस लेना, रक्त का संचार होना, ग्रंथियों के कार्य तथा मांसपेशियों में गति। ये कार्य अनैच्छिक कार्य कहलाते हैं। पूर्ण विश्राम की अवस्था में भी मनुष्य को अनैतिक कार्यों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। शरीर के ताप को नियंत्रित रखने के लिए भी हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। सर्दियों में जब वातावरण का तापक्रम बहुत कम होता है, तब भी शरीर का ताप बढ़ाने के लिए ऊर्जा उष्मा के रूप में आवश्यक होती है। भोजन के पाचन, अवशोषण तथा शरीर द्वारा उपयोग होने वाली क्रियाओं में भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

भोजन में तीन महत्वपूर्ण तत्व कार्बोहाइड्रेट, वसा तथा प्रोटीन शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करते हैं। यह तीनों तत्व कुछ एंजाइम्स की सहायता से शरीर में ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।

कैलोरी, ऊर्जा मापन की इकाई है तथा कैलोरी का माप करने के लिए जिस यंत्र की सहायता ली जाती है उसे कैलोरीमीटर कहते हैं। शरीर द्वारा उत्पन्न ऊष्मा तथा शरीर द्वारा व्यय की जाने वाली ऊर्जा कैलोरी द्वारा ही मापी जाती है। कैलोरीमीटर के द्वारा किसी भी भोज्य पदार्थ में उपस्थित ऊर्जा की जानकारी हासिल की जा सकती है।

मानव शरीर भोज्य-पदार्थों की शक्ति से ही संचालित होता है। व्यक्ति द्वारा ग्रहण किए गए भोज्य पदार्थ के ज्वलन से ऊर्जा (कैलोरी) प्राप्त होती है। व्यक्ति चाहे कोई काम कर रहा हो अथवा वह आराम की स्थिति में हो, उसके शरीर में ऊर्जा का व्यय निरंतर रूप से होता रहता है। साथ ही यह ऊर्जा शरीर के टूटे-फूटे अंगों की मरम्मत हेतु भी वह होती है। शरीर की दैनिक आवश्यकताओं हेतु व्यक्ति को 2160 कैलोरी मात्रा प्रतिदिन आवश्यकता होती है। किसी शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्ति के लिए 800 कैलोरी इस मात्रा में और जोड़ दी जाती है। इस प्रकार कुल 2960 कैलोरी प्रतिदिन शारीरिक श्रम करने वाले के लिए आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति में कैलोरी की आवश्यकता भिन्न-भिन्न हो सकती है।

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